Admissions Helpline: 1800 120 102 102
Admission Helpline

1800 120 102 102

News & Events

Microbiology Student's Achievement

एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के पीजी शोधार्थियों एवम् उनके मेंटर्स ने किया गौरवान्वित

श्री गुरु राम राय इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज के पी.जी.  माईक्रोबायोलॉजी अध्ययनरत विद्यार्थियों डॉ. नताशा बडेजा व डॉ. सौरभ नेगी व उनके गाइड डॉ डिम्पल रैणा, डॉ ईवा चन्दोला की देखरेख में अपने उत्कृष्ट शोध कार्याे के बूते पूरे भारत में अपना परचम लहराया है। एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज एवम् श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चैयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने शोध कार्य में इस राष्ट्रीय स्तर पर सफलता पाने वाले डॉ. नताशा बडेजा, डॉ. सौरभ नेगी व उनके मार्गदर्शक डॉ. डिम्पल रैणा व डॉ. ईवा चन्दोला को आर्शीवाद व शुभकामनाए दी हैं। 

श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हैल्थ साइंसेज़ के  माइक्रोबायोलॉजी पी.जी. मे अध्ययनरत छात्र सौरभ नेगी व छात्रा नताशा बडेजा का चयन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आई.सी.एम.आर.) की एक-एक लाख रूपये की छात्रवृति के लिए हुआ है। डॉ. नताशा बडेजा यह शोध-कार्य एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज एवम् श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की माइक्रोबायोलॉजी प्रोफेसर व सैन्ट्रल लैब डायरेक्टर डॉ. डिम्पल रैणा की देखरेख में कर रही हैं। डॉ डिम्पल रैणा ने जानकारी दी कि देशभर के सिर्फ 120 पीजी डॉक्टरों को यह स्कॉलरशिप मिलती है। 

डॉ डिम्पल रैणा ने जानकारी दी  कि डॉ. नताशा बडेजा “इवेल्यूएशन ऑफ कॉलिस्टिन रैजिस्टैंस एण्ड डिटैक्शन ऑॅफ एमसीआर-1 जीन इन मल्टी ड्रग रेजिस्टैंट ग्राम नेगिटिव क्लीनिकल आईसालेटस एैट टर्शरी केयर हॉस्पिटल इन उत्तराखण्ड” विषय पर शोध कर रही हैं। काबिलेगौर है कि लंबे समय तक किसी मरीज़ के द्वारा एक नियमित समय अन्तराल पर एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल शरीर में कीटाणुओं के प्रतिरोधक क्षमता के प्रभाव को प्रभावित करता है। इस शोध के अन्तर्गत यह पता लगाया जा रहा है कि बैक्टीरिया की रोकथाम में उच्च श्रेणी की एंटीबायोटिक्स दवाओं का प्रभाव कितना प्रभावी साबित हो रहा है और इनमे उच्च स्तर की प्रतिरोधक क्षमता लाने वाले जीन्स की भूमिका क्या और कितनी है ? विशेषकर आई.सी.यू. मे भर्ती अति गंभीर मरीजो को डॉक्टरों द्वारा दी जाने वाली दवाईया असर नही करती और आज के समय में कुछ गिनी चुनी एंटीबायोटिक्स ही हैं जो गम्भीर रोगियों पर असर करती हैं लेकिन इनमें भी प्रतिरोध आने की वजह से इन मरीजों मंे इलाज के बहुत कम विकल्प रहते हैं।
डॉ. डिम्पल रैणा ने बताया कि डॉ. नताशा बडेजा का यह शोध कार्य रोगियों व डॉक्टरों के लिए उम्मीद की नई उगती किरण है क्योकि कालिस्टिन और ऐसी ही कुछ उच्च स्तरीय एंटीबायटिक्स विशेषकर गंभीर रोगियों में दी जाती है जहां टायर 1 एवम् टायर 2 एंटीबायटिक्स काम नहीं करती हैं।
वही डॉ. सौरभ नेगी का शोध- कार्य एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी प्रोफेसर डॉ. ईवा चन्दोला के नेतृत्व व मार्गदर्शन में किया जा रहा है। डॉ. सौरभ के शोध के संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. ईवा चन्दोला ने बताया यह शोध मल्टी ड्रग रेजिसटेट टयूबक्लोसिस (टी.बी.) के विषय में की जा रही है। उन्होने बताया कि शोध कार्य का उद्देश्य टी.बी. रोगाणु के उन जीन को पहचानना है जो कि रोगी को दी जा रही दवाईयों के विरूद्व प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर दवाईयों को बेअसर करती है। उन्होने बताया कि आने वाले समय में इस शोध के परिणाम निर्णायक साबित होंगे जो डॉक्टरों को उनके उपचार मेें मागदर्शन करेंगे।